Aerobic Rice Cultivation: एरोबिक विधि से करें धान की खेती, किसान बचा सकते हैं 50% तक पानी
Aerobic Rice Cultivation: एरोबिक विधि से करें धान की खेती, किसान बचा सकते हैं 50% तक पानी
धान की खेती करते समय किसानों को अधिक पानी का प्रबंध करना पड़ता है लेकिन एक ऐसी विधि है जिससे किसान सिर्फ 50% पानी में एरोबिक विधि से धान की बुवाई कर सकते हैं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और फिलिपींस स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) ने इस तकनीक का विकास किया है इसमें 50% पानी की बचत होती है
एरोबिक विधि से धान की बुवाई करने का तरीका
धान की बुवाई करने से पहले दो-तीन बार खेत को समतल पर मिट्टी को भूर भूरा बनाएं. मई बुवाई के लिए 12 किलो प्रति एकड़ और जून जुलाई में 10 किलो प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है. बीजों को बोने से पहले फफूद नाशक और जैविक कल्चर से बीज का उपचार करें. एरोबिक विधि से धान की बुवाई का तरीका थोड़ा अलग होता है इसके लिए 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में सीडड्रिल-फर्टीड्रिल से धान की बुवाई करें.
एरोबिक विधि से धान की खेती करने में ध्यान देने योग्य बातें
अगर आप एरोबिक विधि से धान की बुवाई कर रहे हैं तो आपको सूखा बर्दाश्त करने वाली अच्छी किस्म का चुनाव करना चाहिए. धान बुआई के अगर 15 दिन पहले बारिश नहीं हुई है तो सिंचाई करें खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए पेंडामिथालीन या बेस्पिरिबैक सोडियम का उपयोग करें। किसान अगर धान बुआई के साथ मुंग या उड़द की बुवाई करते हैं तो खरपतवार कम होने की संभावना रहती है. बुवाई करने के लिए किसान सीड ड्रिल या जीरो टिलेज मशीन का उपयोग कर सकते हैं. इस विधि से की गई बुवाई सेडान का उत्पादन भी अधिक होता है और फसल जल्दी पक जाती है फसल पकने में सिर्फ 110 से 112 दिन लगते हैं दवाई के बाद अगर उचित देखभाल की जाए तो अधिक उत्पादन की संभावना अधिक हो जाती है